tag:blogger.com,1999:blog-8051650689045514096.post6758299289258693953..comments2023-05-11T17:49:19.777+05:30Comments on प्रदक्षिणा: छुटंकी हथेलियों में स्वादों की पुड़िया ...हेमा दीक्षितhttp://www.blogger.com/profile/15580735111999597020noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-8051650689045514096.post-85356463271748507772021-06-09T10:27:22.100+05:302021-06-09T10:27:22.100+05:30धन्यवाद धन्यवाद Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13880362072155588801noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8051650689045514096.post-17161291166307580772021-06-09T10:26:09.960+05:302021-06-09T10:26:09.960+05:30स्कूल में हम खट्टे मीठे चूर की पूडिया खरीदते और ...स्कूल में हम खट्टे मीठे चूर की पूडिया खरीदते और डेस्क में रख देते ।कक्षा में थोड़ा थोडा खाते रहते।उसका आनन्द और स्वाद जिन्दगी भर नहीं भूल पायी।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13880362072155588801noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8051650689045514096.post-38679764472511685212013-04-15T19:11:58.892+05:302013-04-15T19:11:58.892+05:30एक एक शब्द में वही जीवंतता हैं जैसे हमने अपने बचपन...एक एक शब्द में वही जीवंतता हैं जैसे हमने अपने बचपन में गुजारी हैं कईत के फल के लिए धूप में भागना, आम के टिकोरे के लिए लड़ना और भभोरन का गुड़ का लकठोँ। शुक्रिया बचपन याद कराने के लिए।Rakesh Pathakhttps://www.blogger.com/profile/03360213943281940726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8051650689045514096.post-72710479935865462242013-03-29T16:07:23.856+05:302013-03-29T16:07:23.856+05:30भुल्लन मुझे नहीं पहचानता है ... यूँ तो बचई होता तो...<b>भुल्लन मुझे नहीं पहचानता है ... यूँ तो बचई होता तो वो ही कहाँ पहचानता मुझे मेरी छुटंकी हथेलियाँ बड़ी जो हो गई है ... और चवन्नियाँ भी तो समय की परतों में खो गई है ... :( </b><br /><br />खूब संस्मरण लिखा है! अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8051650689045514096.post-85275227080286046362013-03-15T16:02:31.969+05:302013-03-15T16:02:31.969+05:30बचपन के स्वाद क्या बचपने की वजह से इतने अमिट होते ...बचपन के स्वाद क्या बचपने की वजह से इतने अमिट होते है कि हम आजीवन उनसे गले मिलते रहते है!<br />बहुत खूबसूरत पंक्तियांeditor.cginfohttps://www.blogger.com/profile/12524539718374543769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8051650689045514096.post-84980216142125593942013-03-14T23:13:07.599+05:302013-03-14T23:13:07.599+05:30बचपन की स्मृतियों को सजीव करती एक बेहतरीन रचनाबचपन की स्मृतियों को सजीव करती एक बेहतरीन रचनाAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/14024133600845438372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8051650689045514096.post-12751137551631103062013-03-03T16:37:19.088+05:302013-03-03T16:37:19.088+05:30बचपन के स्वाद क्या बचपने की वजह से इतने अमिट होते ...बचपन के स्वाद क्या बचपने की वजह से इतने अमिट होते है कि हम आजीवन उनसे गले मिलते रहते है! सच कहा :)vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8051650689045514096.post-81576011916798806332013-03-02T22:43:09.822+05:302013-03-02T22:43:09.822+05:30"बचपन के स्वाद क्या बचपने की वजह से इतने अमिट..."बचपन के स्वाद क्या बचपने की वजह से इतने अमिट होते है कि हम आजीवन उनसे गले मिलते रहते है!" बहुत अच्छा संस्मरण है.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.com