प्रदक्षिणा
Wednesday, February 13, 2013
किसी मोड़ पर ...
घटनाएँ...
दीवानों की तरह
हर रोज़
एक नए पैरहन में
नई प्रेतात्माओं में
तब्दील हो जाती है ...
यूँ तो
ओझाओं,गुनियों और भगतों के
छाती पर
पाँव रख कर खड़े होने
और सोंटे मारने में
भरोसा था तो नहीं कभी ...
पर अब
इसके सिवाय
कोई उपाय भी तो नहीं ...
~~हेमा~~
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