Saturday, May 11, 2013

'आईना' जो आम तो बिलकुल ही नहीं है ...

अभी तक तो हम यही जानते थे कि 'आईने' आत्म-दर्शन का माध्यम हुआ करते है ...

आज एक बहुत-बहुत बड़े आदमी के 'आईने' का प्रदर्शन देखा तो पता लगा कि तथाकथित बौद्धिकों के तो 'आईने' भी उनके बड़ेपन के घोर बौद्धिक घमण्ड का आत्म-प्रदर्शन हुआ करते है ...

भाई यह बड़े-बड़े लोग किस कदर अपनी अर्जित पूंजियों के प्रदर्शन को बौद्धिकता के छौंक के साथ प्रदर्शित करने के लिए तरसे-टपके जा रहे है ...

दरो-दीवार अब घर के होने के लिए नहीं है बल्कि यह दिखाने के लिए है कि हमारी तो दीवारे भी बुद्धिजीविता की साँसें भरती है ...देखिये किस-किस और कितने बड़े नामों की कलाकृतियों के ओढने-बिछौने से ढँकी-तुपी है ...

बकमाल मुफ्त की प्रदर्शनियाँ है भाई ... कोने-अतरों तक के वैभव प्रदर्शन के सोचे-समझे दर्शन के बौद्धिक प्रतिस्थापन की ...

फेसबुक पर अभी बौद्धिक पूंजीपतियों के शक्तिप्रदर्शन के दौर-ए-आँधियों का वक़्त है ...

बहुसंख्य किसी चमत्कृत मतिभ्रम के तहत जैसे इस नव-दर्शन की शक्ति पूजा में नत् है ...

आम-आदमी जरा हट के जरा बच कर चले लपेटे में आने पर सिर्फ और सिर्फ आप दोषी होंगे बौद्धिक पूंजीपति नहीं ...

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