Wednesday, August 1, 2012

बेचारा ज्ञान ... और बेचारी जिनगी ...

बड़े 'बी' की लम्बाई ज्ञान की पहुँच और धज से कहीं बहुत-बहुत ही ज्यादा है ...

ज्ञान किसी काम का नहीं है ...

जीवन के किसी भी क्षेत्र में वह आपको कुछ भी हासिल कराने लायक नहीं है ...

ज्ञान की योग्यता का पता तब चलता है जब आप 'गर्म कुर्सी'
पर बैठ कर चार विकल्पों वाला जुआ खेलते है ...

आपको अंग्रेज़ी नहीं ना आती है ...

हत भाग्य !!!

जिनगी बर्बाद है तुम्हारी ...

कुच्छो नहीं ना मिलने वाला है आपको इस जिनगी मे ...

सब कुछ आपकी आँखों के सामने से , आपकी नाक के नीचे से लूट लिया जाता है ...

आप कुछ नहीं ना कर पाते है ...

फिर आपको मिलती है 'गर्म कुर्सी'...

और आप हासिल करते है अपनी जिनगी की सबसे बड़ी जुआ खेल जीत ...

क्या बात है देखिये भाई, हमारे महानायक इस परास्त चारों खाने चित्त ज्ञान और जिनगी को कहाँ से कहाँ और कैसे-कैसे रास्ते पर ले जा कर सँवार रहे है उसका सम्मान बढ़ा रहे है रात दिन प्रायोजित कर रहे है ...

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