इंतज़ार ...
हाँ नहीं तो ...
और क्या ...
इंतज़ार की कुर्सी पर
टेका दिये एक धुन ...
एक टुकड़ा धूप ......
आठ दाने चीनी के ....
एक पता तुलसी का ......
अहो !
लहकती त्रिनेत्री छवि .....
और लो ......
अंगूठे के जिदियाए सिरे ने
खीझ कर....हाँ खीझ कर ही तो ....
'तुम्हारे' माथे पर टिपिया दी .......
अपनी जिद्द की एक खीझी हुई लोहित टीप .....
चलो भी... अब...
इस दिन को भी उठाएं ......
अपनी मुस्कुराहटों की उँगलियों पर ......
एक पंचाग्नि ताप उगाएँ ......
और ....
हथेलियों के स्टूडियो पर ......
चुपचाप... बेआवाज़
चलो .... इसे भी बैठा ही आएं ....
~हेमा~
हाँ नहीं तो ...
और क्या ...
इंतज़ार की कुर्सी पर
टेका दिये एक धुन ...
एक टुकड़ा धूप ......
आठ दाने चीनी के ....
एक पता तुलसी का ......
अहो !
लहकती त्रिनेत्री छवि .....
और लो ......
अंगूठे के जिदियाए सिरे ने
खीझ कर....हाँ खीझ कर ही तो ....
'तुम्हारे' माथे पर टिपिया दी .......
अपनी जिद्द की एक खीझी हुई लोहित टीप .....
चलो भी... अब...
इस दिन को भी उठाएं ......
अपनी मुस्कुराहटों की उँगलियों पर ......
एक पंचाग्नि ताप उगाएँ ......
और ....
हथेलियों के स्टूडियो पर ......
चुपचाप... बेआवाज़
चलो .... इसे भी बैठा ही आएं ....
~हेमा~
हां सचमुच चलें।
ReplyDeleteवाह.........................
ReplyDeleteसाधारण सोच के परे.....................
लाजवाब रचना.
अनु
Atti Umda Prastuthi....Badahai ho.
ReplyDeleteचलो भी... अब...
ReplyDeleteइस दिन को भी उठाएं ......
अपनी मुस्कुराहटों की उँगलियों पर ......
एक पंचाग्नि ताप उगाएँ ......
और ....
हथेलियों के स्टूडियो पर ......
चुपचाप... बेआवाज़
चलो .... इसे भी बैठा ही आएं ....उत्कृष्ट भाव
http://kuchmerinazarse.blogspot.in/2012/05/blog-post_04.html
ReplyDeleteचलो भी... अब...
ReplyDeleteइस दिन को भी उठाएं ......
अपनी मुस्कुराहटों की उँगलियों पर ......
एक पंचाग्नि ताप उगाएँ ......
और ....
हथेलियों के स्टूडियो पर ......
चुपचाप... बेआवाज़
चलो .... इसे भी बैठा ही आएं ....
सुन्दर आह्वान किया आपने...आभार.
चलो भी... अब...
ReplyDeleteइस दिन को भी उठाएं ......
अपनी मुस्कुराहटों की उँगलियों पर ......
एक पंचाग्नि ताप उगाएँ ......
और ....
हथेलियों के स्टूडियो पर ......
चुपचाप... बेआवाज़
चलो ... इसे भी बैठा ही आएं ...
अनुपम भाव संयोजित किए हैं आपने इस अभिव्यक्ति में ...
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteफुर्सत मिले तो आदत मुस्कुराने की पर ज़रूर आईये