पनीले रंगों वाली कचबतिया सी चित्र लेखाएँ ...
डिब्बे में बचा थोडा सा अनमना कोर्नफ्लेक्स ...
दूध वाले के नपने के नीचे
घटा हुआ दूध का अनुपात ...
सुबह से अनछुआ
अपने गैर कसे टेढ़े मुँहवाला जैम ...
लटके हुए फीके चेहरे वाला टोस्टर ...
फ्रीजर में खाली पड़ी आइस ट्रे ...
पीछे छूटी एक अदद स्कर्ट ...
एक बिना पेन का ढक्कन ...
सब के सब मिल कर
मेरी उदासियों को बेतरह मुँह चिढ़ा रहे है ...
बहुत कोशिशों के बाद भी रहती हूँ नाकाम ...
कोई भी चीज़ उसकी खिलखिलाहट की
अनुपस्थिति को भर नहीं पाती है ...
सोनचिरैया फिर से उड़ गई है ना ...
बस ऐसे ही मेरी
सोनचिरैया आती है जाती है और
अपने दो-चार पँख छोड़ कर
फिर से उड़ जाती है ...
~~~हेमा~~~
बहुत सुंदर .... बिटिया के जाने से ऐसा ही लगता है ...
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरती सी समेट लिया हर अहसास को आपने इस अभिव्यक्ति में
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