Tuesday, June 5, 2012

अम्मा ... मैं तुम हो जाती हूँ ...


मेरी प्यारी अम्मा -
तुम्हारा क्या-क्या याद करूँ ...
तुम्हारा प्यार-दुलार ...
डांट-फटकार और कभी मार ...
प्यार-दुलार और लाड़ पर
फूलों सी खिल जाती थी ...
डांट, फटकार और मार पर
घर के कोनों में और
पर्दों के पीछे छिप जाती थी ...
मुझे बनाने वाली ...
मुझे सजाने और
थपक कर गढ़ने वाली ...
मेरी प्यारी अम्मा ...
मेरे अस्तित्व में बसा है ...
तुम्हारे स्पर्शो का मीठा स्वाद ...
मेरी अम्मा ...
मेरी प्यारी अम्मा ...
तुम्हारी बिटिया हर आँसू में
हर मुस्कान में ...
सिर्फ और सिर्फ
तुम्हे ही याद करती है ...
तुम्हे याद करती है ...
और तुम्हारी याद में माँ
मैं माँ ही हो जाती हूँ ...
और फिर बस माँ ही रह जाती हूँ ...
सच बस इतना ही सच है कि -
अम्मा मैं तुम हो जाती हूँ ...

~हेमा~

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1 comment:

  1. बहुत प्यारी रचना........
    अपनी अम्मा को याद कर रही हूँ.....

    अनु

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